अमेरिकी अखबार में छपा फ्री कराची कैंपेन का विज्ञापन

न्यूज़ गेटवे /  फ्री कराची कैंपेन / नई दिल्ली /

पाकिस्‍तान के बुरे दिन यूं तो काफी समय से शुरू हो रखे हैं लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बेहद खराब हो चले हैं। अंदरुणी हालातों से जूझ रहे पाकिस्‍तान को विदेश में रह रहे पाकिस्‍तानी भी अब चुनौती दे रहे हैं। इसका ही नतीजा है ‘फ्री कराची कैंपेन’। इस कैंपेन से पाकिस्‍तान न सिर्फ अंदर तक हिल गया है बल्कि उसकी बौखलाहट भी अब साफतौर पर दिखाई देने लगी है। फ्री कराची कैंपेन को लेकर यह बौखलाहट इसलिए भी है क्‍योंकि इसका एक फुल पेज विज्ञापन वाशिंगटन टाइम्‍स के पहले पेज पर छपा था। इतना ही नहीं इस तरह की कैंपेन के पोस्‍टर्स लंदन से लेकर जिनेवा तक दिखाई दिए हैं।

यहां आपको बता दें कि पाकिस्‍तान को कई मोर्चों पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बलूचिस्‍तान को लेकर देश और दुनिया में हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने पहले ही उसकी छवि को बर्बाद कर दिया है। इसके अलावा अमेरिका द्वारा आतंकवाद के खात्‍मे के नाम पर दी जाने वाली सहायता रद करने और इसके बाद पाकिस्‍तान को धोखेबाज देश बताने पर भी पाकिस्‍तान की पूरे विश्‍व में काफी किरकिरी हुई है। दूसरी तरफ देश के अंदर अस्थिर होते राजनीतिक हालात और सत्ता की गोद में बैठे आतंकियों के खिलाफ उठती आवाज से भी उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसके अलावा अफगानिस्‍तान के मोर्चे पर भी पाकिस्‍तान की हालत बेहद खराब है।

विज्ञापन पर पाकिस्‍तान की नाराजगी


फ्री कराची के विज्ञापन को लेकर अमेरिका स्थित पाकिस्‍तान के राजदूत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए इसको अमेरिकी विदेश विभाग के समक्ष उठाया है। उनके मुताबिक अमेरिका ने कहा है कि वह पाकिस्‍तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्‍मान करता है। उनके मुताबिक इसी तरह का आश्‍वासन अमेरिका के वरिष्‍ठ अधिकारी ने पाकिस्‍तान दौरे पर भी दिया है। यहां पर आपको बता दें कि न्‍यूयॉर्क की सड़कों और कैब पर फ्री कराची कैंपेन को लेकर पोस्‍टर लगे हुए दिखाई दिए थे। हालांकि विरोध के बाद इन पोस्‍टर्स को हटा लिया गया था। इसके अलावा वाशिंगटन में भी इसी तरह के पोस्‍टर्स दिखाई दिए थे। पाक राजदूत की मानें तो अमेरिका ने कहा है कि वह इस तरह के किसी भी कैंपेन का समर्थन नहीं करता है। हालांकि अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा है कि वह नियमों के तहत केवल अमेरिका में बोलने की आजादी के अमेरिका में जगह मुहैया करवाता है।



फ्री कराची कैंपेन को लेकर पाकिस्‍तान गाहे-बगाहे भारत को जिम्‍मेदार ठहरा रहा है। पाकिस्‍तान के राजदूत का कहना है कि उनके देश के लोग इस तरह की कैंपेन का हिस्‍सा नहीं हैं। बल्कि यह एक साजिश के तहत पूर्वी देश कर रहे हैं। पाकिस्‍तान का यह भी कहना है कि इस तरह की कैंपेन किसी के अपने ही एजेंडे के तहत चलाई जा रही है। ऐसा कौन कर रहा है फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है। हालांकि उन्‍होंने इसके पीछे भारत का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा इसी ओर था। बलूचिस्‍तान को लेकर भी पाकिस्‍तान बार-बार सफाई देता रहा है। पाकिस्‍तान के मुताबिक बलूचिस्‍तान में वहां की चुनी गई सरकार है। इसके अलावा देश की सरकार वहां के विकास पर पूरा ध्‍यान दे रही है।

 वाशिंगटन टाइम्‍स की एक खबर

फ्री कराची कैंपेन को लेकर वाशिंगटन टाइम्‍स की एक खबर में लिखा गया है कि कराची पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर है, जहां पर करीब तीन करोड़ लोग रहते हैं। यहां से सरकार को टैक्स के रूप में काफी धन मिलता है लेकिन बावजूद इसके यहां के लोगों की हालत खस्‍ता है। खबर के मुताबिक यहां पर रहने वाले जयादातर मुहाजिर है और ज्‍यादातर यंग जनरेशन यहां के स्‍कूल कॉलेजों में जाने की बजाए दूसरी जगहों पर पढ़ाई करना पसंद करती है। खबर में यह भी लिखा गया है कि पाकिस्‍तान की सरकार चाहे वह फौजी रही हो या फिर लोकतांत्रिक सभी ने यहां के लोगों को नजरअंदाज किया है।

बहरहाल, यहां पर एक बात बेहद साफ है कि हाल ही में पाकिस्‍तान और अमेरिका के बीच बनी मतभेदों की खाई को फ्री कराची कैंपेन ने और बड़ा करने का काम जरूर किया है। इसके अलावा इसका पूरा फायदा फ्री कराची कैंपेन या फ्री बलूचिस्‍तान कैंपेन चलाने वाले संगठन उठा रहे हैं। बलूचिस्‍तान की बात करें तो पिछले माह न्‍यूयॉर्क में ही कई टैक्सियों पर इसको लेकर फ्री बलूचिस्‍तान के पोस्‍टर्स दिखाई दिए हैं। बलूचिस्‍तान के मुद्दे पर कई बार सार्वजनिक तौर पर अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन में विरोध प्रदर्शनों को सभी ने देखा है। अब फ्री कराची कैंपेन से पाकिस्‍तान की हवाइयां उड़ गई हैं।

इन सभी के अलावा पाकिस्‍तान और चीन के रिश्‍तों को लेकर यदि बात करें तो हाल ही में दिल्‍ली में हुए रायसीना डायलॉग में चीन द्वारा की जा रही भारत की घेराबंदी पर चार देशों ने चीन को काफी खरी-खोटी सुनाई थी। सीपैक और ओबोर के मुद्दे पर भी पाकिस्‍तान सवालों के घेरे में है।

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